बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-3 समाजशास्त्र बीए सेमेस्टर-3 समाजशास्त्रसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-3 समाजशास्त्र
प्रश्न- "प्रतिक्रियावादी आंदोलन" से आप क्या समझते हैं?
उत्तर -
1787 के पश्चात् सौ वर्षों में विदेशी राज्य तथा संलग्न कठिनाइयों के विरुद्ध अनेक आंदोलन, विद्रोह तथा सैनिक विप्लव हुए। अपनी स्वतंत्रता के खो जाने पर स्वशासन में विदेशी हस्तक्षेप, प्रशासनिक परिवर्तनों का आना अत्यधिक करों की माँग, अर्थव्यवस्था का भंग होना इन सबसे भारत के भिन्न-भिन्न भागों में भिन्न-भिन्न समय पर भिन्न-भिन्न प्रतिक्रिया हुई तथा उससे बहुत-सी अव्यवस्था फैली।
(1) सन्यासी विद्रोह - बंगाल में अंग्रेजी राज्य के स्थापित होने से तथा उसके कारण नई अर्थव्यवस्था के स्थापित होने से जमींदार, कृषक तथा शिल्पी नष्ट हो गए। 1770 में भीषण अकाल पड़ा। उसे तथा कम्पनी के पदाधिकारियों की कठोरता को लोगों ने विदेशी राज्य की ही देन समझा। तीर्थ स्थानों पर आने-जाने पर लगे प्रतिबन्धों से सन्यासी लोग बहुत क्षुब्ध हुए। संन्यासियों की अन्याय के विरुद्ध लड़ने की परम्परा थी और उन्होंने जनता से मिलकर कम्पनी की कठियों तथा कोषों पर आक्रमण किए। वे लोग कम्पनी के सैनिकों के विरुद्ध बहुत वीरता से लड़े तथा वारेन हेस्टिंग्ज एक लम्बे अभियान के पश्चात् ही इस विद्रोह को दबा पाया था। इसी संन्यासी विद्रोह का उल्लेख वन्देमातरम के रचयिता बंकिमचन्द्र चटर्जी ने अपने उपन्यास " आनन्द-मठ" में किया था।
(2) चुआर तथा हों का विद्रोह - अकाल तथा बढ़े हुए भूमिकर और अन्य आर्थिक संकटों के कारण मिदनापुर जिले की आदिम जाति के चुआर लोगों ने हथियार उठा लिए। दलभूम, कैलापाल, ढोल्का तथा बाराभूम के राजाओं ने मिलकर 1768 में विद्रोह कर दिया तथा आत्म-विनाश की नीति अपनाई। यह प्रदेश 18वीं शताब्दी के अन्तिम दिनों तक उपद्रवग्रस्त रहा।
(3) कोल विद्रोह - छोटा नागपुर के कोलों ने अपना क्रोध उस समय प्रकट किया जब उनकी भूमि उनके मुखिया मुण्डों से छीन कर मुस्लिम कृषकों तथा सिक्खों को दे दी गई। 1831 में कोलों ने लगभग 1000 विदेशी अथवा बाहर के लोगों को या तो जला दिया या उनकी हत्या कर दी। यह विद्रोह रांची, सिंहभूम, हजारीबाग, पालामऊ तथा मानभूम के पश्चिमी क्षेत्रों में फैल गया। एक दीर्घकालीन तथा विस्तृत सैन्य अभियान के पश्चात् ही यहाँ शान्ति स्थापित हो सकी।
( 4 ) संथाल विद्रोह - राजमहल जिले के संथाल लोगों ने भूमि कर अधिकारियों के हाथों दुर्व्यव्यवहार, पुलिस के दमन, जमींदारों तथा साहूकारों की वसूलियों के विरुद्ध अपना रोष प्रकट किया तथा सिन्धू व कान्हू के नेतृत्व में कम्पनी के शासन का अन्त करने की घोषणा कर दी तथा अपने आपको स्वतंत्र घोषित कर दिया।
(5) अहोम आंदोलन - आसाम के अहोम अभिजात वर्ग के लोगों ने कम्पनी पर बर्मा युद्ध के पश्चात् लौटने का वचन पूरा न करने का दोष लगाया। इसके अतिरिक्त जब अंग्रेजों ने अहोम प्रदेश को भी अपने प्रदेशों में सम्मिलित करने का प्रयत्न किया तो विद्रोह फूट पड़ा। 1828 में अहोम लोगों ने गोमघट कुंवर को अपना राजा घोषित कर दिया तथा रंगपुर पर चढ़ाई कर दी।
(6) खासी विद्रोह - कम्पनी ने पूर्व दिशा में जैन्तिया तथा पश्चिम में गारो पहाड़ियों के क्षेत्र पर अधिकार कर लिया। अंग्रेजों ने बह्मपुत्र घाटी तथा सिल्हूट को जोड़ने के लिए एक सैनिक मार्ग की योजना भी बनाई तथा इसके लिए बहुत से अंग्रेज बंगाली तथा अन्य लोग वहाँ भेजे। ननक्लों के राजा वीरत सिंह ने इस हस्तक्षेप का विरोध किया तथा गारो खाम्पटी तथा सिंह पो लोगों की सहायता से विदेशी लोगों को निकालने का प्रयत्न किया। इसने अंग्रेज विरोधी लोकप्रिय आंदोलन का रूप धारण कर लिया। 1833 में सैन्य बल से ही अंग्रेज इस विरोध को दबा सके।
(7) भील विद्रोह - भीलों की आदिम जाति पश्चिमी तट के खानदेश जिले में रहती थी। 1812-19 तक इन लोगों ने अपने नए स्वामी अंग्रेजों के विरुद्ध विद्रोह कर दिया।
(8) कोलों का विद्रोह - भीलों के पड़ोसी कोल भी अंग्रेजों से अप्रसन्न थे। विशेषकर इसलिए कि अंग्रेजों ने उनके दुर्ग तोड़ दिए थे। दूसरे, अंग्रेजी शासन से उनमें बेकारी बढ़ गयी थी तथा अन्त में 1829 1839 तथा पुनः 1844 से 1848 तक इन्होंने विद्रोह किए जो सब दबा दिए गए।
(9) कच्छ का विद्रोह - कच्छ तथा काठियावाड़ में भी अंगेजों के विरुद्ध रोष फैला था। संघर्ष का वास्तविक कारण कच्छ के राजा भारमल्ल और झरेजा के समर्थक सरदारों का रोष था। 1819 में राजा भारमल्ल को हरा कर अंग्रेजों ने उसके अल्पवयस्क पुत्र को सिंहासन पर बैठा दिया। प्रदेश का वास्तविक शासन एक प्रतिशासक परिषद को दे दिया। जिसका निर्देशन एक अंग्रेज रोजीडेंट के अधीन था। इस परिषद द्वारा किए गए परिवर्तनों तथा अत्यधिक भूमि कर लगाने के कारण लोगों में अत्यधि रोष था। बर्मा युद्ध में अंग्रेजों की हार के समाचार से विद्रोहियों को प्रेरणा मिली तथा उन्होंने भारमल्ल को पुनः स्थापित करने की माँग की। अंग्रेजों को चिर काल तक सैनिक कार्यवाही करनी पड़ी। 1831 में पुनः विद्रोह हुआ तथा अन्त में कम्पनी को अनुरंजन की नीति अपनानी पड़ी।
(10) बघेरा विद्रोह - ओखा मण्डल के बघेरे आरम्भ से ही विदेशी शासन के विरोधी थे। जब बड़ौदा के गायकवाड़ ने अंग्रेजी सेना की सहायता से इन लोगों से अधिक कर प्राप्त करने का प्रयत्न किया तो बघेरा सरदार ने सशस्त्र विद्रोह कर दिया और 1818-19 के बीच अंग्रेजी प्रदेश पर भी आक्रमण किया। अन्त में 1820 में शान्ति स्थापित हो गयी।
( 11 ) सूरत का नमक आंदोलन - अप्रिय कार्यों के विरोध करने का सूरत नगर का इतिहास बहुत पुराना है। 1844 में नमक कर 1/2 रुपया प्रति मन से बढ़ाकर एक रुपया कर दिया गया जिसके कारण लोगों में असंतोष फैला।
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- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के जैवकीय कारक की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के जनसंख्यात्मक कारक की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के राजनैतिक तथा सेना सम्बन्धी कारक की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन में महापुरुषों की भूमिका स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के प्रौद्योगिकीय कारक की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के आर्थिक कारक की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के विचाराधारा सम्बन्धी कारक की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के सांस्कृतिक कारक की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के मनोवैज्ञानिक कारक की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन की परिभाषा बताते हुए इसकी विशेषताएं लिखिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन की विशेषतायें बताइये।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन की प्रमुख प्रक्रियायें बताइये तथा सामाजिक परिवर्तन के कारणों (कारकों) का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन में जैविकीय कारकों की भूमिका का मूल्यांकन कीजिए।
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- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के प्राकृतिक कारकों का वर्णन कीजिए। सामाजिक परिवर्तन के जनसंख्यात्मक कारकों व प्रणिशास्त्रीय कारकों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के जनसंख्यात्मक कारकों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- प्राणिशास्त्रीय कारक और सामाजिक परिवर्तन की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन में जनसंख्यात्मक कारक के महत्व की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के आर्थिक कारक बताइये तथा आर्थिक कारकों के आधार पर मार्क्स के विचार प्रकट कीजिए?
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन में आर्थिक कारकों से सम्बन्धित अन्य कारणों को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- आर्थिक कारकों पर मार्क्स के विचार प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन में प्रौद्योगिकीय कारकों की भूमिका की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के सांस्कृतिक कारकों का वर्णन कीजिए। सांस्कृतिक विलम्बना या पश्चायन (Cultural Lag) के सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सांस्कृतिक विलम्बना या पश्चायन का सिद्धान्त प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक संरचना के विकास में सहायक तथा अवरोधक तत्त्वों को वर्णन कीजिए।
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- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन में सूचना प्रौद्योगिकी की क्या भूमिका है?
- प्रश्न- निम्नलिखित पुस्तकों के लेखकों के नाम लिखिए- (अ) आधुनिक भारत में सामाजिक परिवर्तन (ब) समाज
- प्रश्न- सूचना प्रौद्योगिकी एवं विकास के मध्य सम्बन्ध की विवेचना कीजिए।
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- प्रश्न- जैविकीय कारक का अर्थ बताइये।
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- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के 'प्रौद्योगिकीय कारक पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- जनसंचार के प्रमुख माध्यम बताइये।
- प्रश्न- सूचना प्रौद्योगिकी की सामाजिक परिवर्तन में भूमिका बताइये।
- प्रश्न- सूचना प्रौद्योगिकी क्या है?
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- प्रश्न- सामाजिक रीति-रिवाजों में क्या परिवर्तन हुए वर्णन कीजिए?
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- प्रश्न- डेनियल लर्नर के अनुसार आधुनिकीकरण की विशेषताओं को बताइए।
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- प्रश्न- डा. योगेन्द्र सिंह के अनुसार आधुनिकीकरण के तत्वों को समझाइए।
- प्रश्न- ए. आर. देसाई के अनुसार आधुनिकीकरण के तत्वों को व्यक्त कीजिए।
- प्रश्न- आधुनिकीकरण का अर्थ तथा परिभाषा बताइये? भारत में आधुनिकीकरण के लक्षण बताइये।
- प्रश्न- आधुनिकीकरण के प्रमुख लक्षण बताइये।
- प्रश्न- भारतीय समाज पर आधुनिकीकरण के प्रभाव की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- लौकिकीकरण का अर्थ, परिभाषा व तत्व बताइये। लौकिकीकरण के कारण तथा प्रभावों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- लौकिकीकरण के प्रमुख कारण बताइये।
- प्रश्न- धर्मनिरपेक्षता क्या है? धर्मनिरपेक्षता के मुख्य कारकों का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- वैश्वीकरण क्या है? वैश्वीकरण की सामाजिक सांस्कृतिक प्रतिक्रिया की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- भारत पर वैश्वीकरण और उदारीकरण के सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक व्यवस्था पर प्रभावों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारत में वैश्वीकरण की कौन-कौन सी चुनौतियाँ हैं? वर्णन कीजिए।
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- प्रश्न- निम्नलिखित शीर्षकों पर टिप्पणी लिखिये - 1. संकीर्णता / संकीर्णीकरण / स्थानीयकरण 2. सार्वभौमिकरण।
- प्रश्न- संस्कृतिकरण के कारकों का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- भारत में आधुनिकीकरण के किन्हीं दो दुष्परिणामों की विवचेना कीजिए।
- प्रश्न- आधुनिकता एवं आधुनिकीकरण में अन्तर बताइए।
- प्रश्न- एक प्रक्रिया के रूप में आधुनिकीकरण की विशेषताएँ लिखिए।
- प्रश्न- आधुनिकीकरण की हालवर्न तथा पाई की परिभाषा दीजिए।
- प्रश्न- भारत में आधुनिकीकरण की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- भारत में आधुनिकीकरण के दुष्परिणाम बताइये।
- प्रश्न- सामाजिक आन्दोलन से आप क्या समझते हैं? सामाजिक आन्दोलन का अध्ययन किस-किस प्रकार से किया जा सकता है?
- प्रश्न- सामाजिक आन्दोलन का अध्ययन किस-किस प्रकार से किया जा सकता है?
- प्रश्न- सामाजिक आन्दोलन के गुणों की व्याख्या कीजिये।
- प्रश्न- सामाजिक आन्दोलन के सामाजिक आधार की विवेचना कीजिये।
- प्रश्न- सामाजिक आन्दोलन को परिभाषित कीजिये। भारत मे सामाजिक आन्दोलन के कारणों एवं परिणामों का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- "सामाजिक आन्दोलन और सामूहिक व्यवहार" के सम्बन्धों को समझाइये |
- प्रश्न- लोकतन्त्र में सामाजिक आन्दोलन की भूमिका को स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- सामाजिक आन्दोलनों का एक उपयुक्त वर्गीकरण प्रस्तुत करिये। इसके लिये भारत में हुए समकालीन आन्दोलनों के उदाहरण दीजिये।
- प्रश्न- सामाजिक आन्दोलन के तत्व कौन-कौन से हैं?
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- प्रश्न- सर्वोदय आन्दोलन पर टिप्पणी लिखिए।
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- प्रश्न- भारत में नक्सली आन्दोलन कब प्रारम्भ हुआ? इसके स्वरूपों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- नक्सली आन्दोलन के प्रकोप पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- नक्सली आन्दोलन की क्या-क्या माँगे हैं?
- प्रश्न- नक्सली आन्दोलन की विचारधारा कैसी है?
- प्रश्न- नक्सली आन्दोलन का नवीन प्रेरणा के स्रोत बताइये।
- प्रश्न- नक्सली आन्दोलन का राजनीतिक स्वरूप बताइये।
- प्रश्न- आतंकवाद के रूप में नक्सली आन्दोलन का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भ्रष्टाचार के विरुद्ध आंदोलन पर एक निबन्ध लिखिए।
- प्रश्न- "प्रतिक्रियावादी आंदोलन" से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न - रेनांसा के सामाजिक सुधार पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- 'सम्पूर्ण क्रान्ति' की संक्षेप में विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- प्रतिक्रियावादी आन्दोलन से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- सामाजिक आन्दोलन के संदर्भ में राजनीति की भूमिका स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन में सरदार वल्लभ पटेल की भूमिका की संक्षेप में विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- "प्रतिरोधी आन्दोलन" पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- उत्तर प्रदेश के किसी एक कृषक आन्दोलन की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- कृषक आन्दोलन क्या है? भारत में किसी एक कृषक आन्दोलन की विवेचना कीजिये।
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- प्रश्न- भारत में मजदूर आन्दोलन के उद्भव एवं विकास पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- 'दलित आन्दोलन' के बारे में अम्बेडकर के विचारों की विश्लेषणात्मक व्याख्या कीजिए।
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- प्रश्न- महिला आन्दोलन से क्या तात्पर्य है? भारत में महिला आन्दोलन के लिये उत्तरदायी प्रमुख कारणों की विवेचना कीजिये।
- प्रश्न- पर्यावरण संरक्षण के लिए सामाजिक आन्दोलनों पर एक लेख लिखिये।
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- प्रश्न- कृषक आन्दोलन के प्रमुख कारणों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- श्रम आन्दोलन के क्या कारण हैं?
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- प्रश्न- पर्यावरणीय आन्दोलनों के सामाजिक महत्त्व पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- पर्यावरणीय आन्दोलन के सामाजिक प्रभाव क्या हैं?